भारत में दशहरा रावण-दहन और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का “बस्तर दशहरा” इस परंपरा से बिल्कुल अलग है।
यहां न रावण-दहन होता है, न आतिशबाज़ी — बल्कि यहां देवी दंतेश्वरी की आराधना, जनजातीय परंपराओं, और सामूहिक एकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
यह पर्व पूरे 75 दिनों तक चलता है — यानी यह दुनिया का सबसे लंबा त्योहार है।
हर वर्ष लाखों श्रद्धालु, पर्यटक और शोधकर्ता जगदलपुर पहुंचते हैं ताकि इस अद्भुत सांस्कृतिक अनुभव का हिस्सा बन सकें।
🕉️ बस्तर दशहरा क्या है?
बस्तर दशहरा किसी युद्ध की याद नहीं बल्कि भक्ति, परंपरा और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है।
यह उत्सव मां दंतेश्वरी देवी को समर्पित है, जिन्हें बस्तर की कुल देवी माना जाता है।
कहा जाता है कि यह पर्व करीब 600 साल पुराना है और इसकी शुरुआत काकतीय राजवंश के शासकों ने की थी।
तब से लेकर आज तक हर वर्ष यह पर्व राजपरिवार की परंपरा, जनजातीय समुदायों की आस्था और सामूहिक सहयोग का जीवंत उदाहरण बना हुआ है।
📅 2025 में बस्तर दशहरा की मुख्य तिथियाँ
2025 में बस्तर दशहरा की शुरुआत 24 जुलाई को पाट जात्रा रस्म से होगी।
इसके बाद 75 दिनों तक कई प्रमुख अनुष्ठान होंगे, जैसे —
- 🌳 पाट जात्रा: साल वृक्ष की पवित्र लकड़ी लाने की रस्म
- 🪔 कच्छांगुड़ी पूजा: रथ निर्माण से पहले की धार्मिक विधि
- 🧘 जोगी बिठाई: साधुओं और जोगियों का आशीर्वाद समारोह
- 🚩 रथ यात्रा / रथ परिक्रमा: देवी दंतेश्वरी का भव्य रथ यात्रा
- 🌌 निशा जात्रा: अष्टमी की मध्यरात्रि में देवी की गूढ़ पालकी यात्रा
- 💐 मावली परगाव: देवी मावली का राजसी स्वागत
- 🔔 भितर रैनी: अंतिम रस्म जिसमें रथ मंदिर परिक्रमा करता है
यह पूरा क्रम श्रावण से लेकर आश्विन तक चलता है, यानी जुलाई से अक्टूबर तक बस्तर पूरी तरह त्योहार के रंग में डूबा रहता है।
🚩 रथ यात्रा: जन-आस्था का प्रतीक
बस्तर दशहरा का सबसे भव्य दृश्य है रथ परिक्रमा।
इस रथ को कोई मशीन नहीं, बल्कि हज़ारों श्रद्धालु रस्सियों से खींचते हैं।
रथ लकड़ी से बनता है, जिसे जंगल से लाने, तराशने और जोड़ने का कार्य विभिन्न जनजातियाँ मिलकर करती हैं।
यह एक तरह से जनसहयोग और श्रम-संस्कृति की मिसाल है।
रथ यात्रा के समय पूरा जगदलपुर शहर देवी भक्ति में डूब जाता है।
ढोल-नगाड़ों की गूंज, फूलों की वर्षा और आस्था की लहर हर दिशा में दिखाई देती है।
🙏 देवी दंतेश्वरी और मंदिर परंपरा
जगदलपुर का दंतेश्वरी मंदिर इस पर्व का केंद्र है।
यह मंदिर 14वीं शताब्दी का बताया जाता है और बस्तर राजवंश की कुल देवी का स्थान है।
त्योहार के दौरान इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, ढोल नगाड़ों की ध्वनि, और पालकी जुलूस आयोजित होते हैं।
यहां आसपास के सैकड़ों गाँवों की देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और प्रतीक लाए जाते हैं — जो एक विशाल आध्यात्मिक संगम बनाते हैं।
🕯️ रहस्यमयी निशा जात्रा
बस्तर दशहरा की सबसे रोमांचक रस्म है निशा जात्रा — जो अष्टमी की रात होती है।
इस रात देवी खमेश्वरी के दर्शन के लिए मंदिर का विशेष द्वार खोला जाता है — जो पूरे वर्ष बंद रहता है।
देवी की पालकी को रात्रि में मंदिर से बाहर निकाला जाता है और शहर में रहस्यमयी जुलूस निकाला जाता है।
इस दौरान पूरा वातावरण भक्ति, संगीत और अनुशासन से भरा होता है।
👑 राजपरिवार और पारंपरिक रस्में
बस्तर दशहरा आज भी राजपरिवार की उपस्थिति में आयोजित होता है।
राजा और रानी दोनों कई रस्मों में भाग लेते हैं, जैसे मावली परगाव, नवाखानी (नए अनाज का प्रसाद), और कुमडकोटे रस्म।
इन परंपराओं का उद्देश्य राजसत्ता और जनसत्ता के बीच संतुलन बनाए रखना है —
यानी शासक और जनता दोनों देवी के सेवक हैं, मालिक नहीं।
🌿 बस्तर दशहरा: बिना रावण-दहन का त्योहार
भारत में जहां दशहरा का मतलब रावण-दहन है, वहीं बस्तर में रावण का नाम तक नहीं लिया जाता।
यहां बुराई की जगह शक्ति, मातृत्व और सहयोग की पूजा की जाती है।
यही बात इस उत्सव को भारत का सबसे अनूठा दशहरा बनाती है —
जहां न युद्ध है, न द्वेष, सिर्फ भक्ति और प्रकृति से जुड़ाव है।
🌍 2025 के मुख्य आकर्षण
2025 में इस पर्व के दौरान जगदलपुर में कई सांस्कृतिक आयोजन भी होंगे —
- Tribal Dance Competitions
- Handicraft & Tribal Art Exhibitions
- Bastar Food Festival
- Danteshwari Temple Light Show
- Cultural Parade by Tribal Groups
स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच मिलता है, जिससे उनकी कला और परंपरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है।
🚗 यात्रा गाइड: कैसे पहुँचें?
- ✈️ नज़दीकी एयरपोर्ट: रायपुर (300 किमी)
- 🚆 रेलवे स्टेशन: जगदलपुर स्टेशन
- 🚌 सड़क मार्ग: NH30 के जरिए रायपुर, विशाखापट्टनम और कोंडागांव से सीधी बस सेवा
सर्वश्रेष्ठ समय:
सितंबर के आख़िरी सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक, जब रथ यात्रा और निशा जात्रा होती है।
ठहरने की जगह:
जगदलपुर में सरकारी पर्यटन लॉज, होटेल्स और होमस्टे आसानी से उपलब्ध हैं।
🎥 कंटेंट क्रिएटर्स के लिए सुझाव
अगर तुम व्लॉगर या फोटोग्राफर हो, तो यह त्योहार डॉक्यूमेंट्री या रीएल्स के लिए परफेक्ट विषय है।
- 📸 Wide-angle lens से रथ यात्रा का aerial shot लो
- 🎙️ Storytelling में “रावण-दहन नहीं, देवी उपासना” वाला एंगल ज़रूर रखो
- 🎥 “रथ-निर्माण की कहानी” और “निशा जात्रा की आध्यात्मिकता” पर शॉर्ट वीडियो बनाओ
🍲 स्थानीय स्वाद और बाजार
त्योहार के दौरान जगदलपुर के बाजार रंग-बिरंगे हो जाते हैं।
यहां जनजातीय हस्तशिल्प, धातु कला, काष्ठ मूर्तियाँ और लोक भोजन (जैसे महुआ पेय, कोसरा रोटी, चावल बीयर) बड़ी संख्या में बिकते हैं।
यह अनुभव न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और स्वादिष्ट भी बन जाता है।
⚖️ आचार-संहिता और सांस्कृतिक सम्मान
अगर आप बस्तर दशहरा देखने जा रहे हैं, तो कुछ बातें याद रखें:
- धार्मिक स्थलों पर सादगीपूर्ण वस्त्र पहनें
- जनजातीय रस्मों की फोटोग्राफी अनुमति लेकर ही करें
- निशा जात्रा या मावली परगाव जैसे गूढ़ अनुष्ठानों के दौरान अनुशासन बनाए रखें
- कचरा न फैलाएं, क्योंकि यह उत्सव प्रकृति पूजा से जुड़ा है
🕉️ FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
❓ बस्तर दशहरा कितने दिन चलता है?
➡️ यह पूरे 75 दिनों तक चलता है, जो इसे दुनिया का सबसे लंबा त्योहार बनाता है।
❓ क्या इसमें रावण-दहन होता है?
➡️ नहीं, बस्तर दशहरा में रावण-दहन नहीं किया जाता। यह देवी दंतेश्वरी की पूजा का पर्व है।
❓ सबसे प्रसिद्ध रस्म कौन सी है?
➡️ रथ परिक्रमा और निशा जात्रा सबसे लोकप्रिय रस्में हैं।
❓ मुख्य स्थल कौन-कौन से हैं?
➡️ जगदलपुर शहर, दंतेश्वरी मंदिर, मावली मंदिर, कुमडकोटे और रथ निर्माण स्थल।
🏁 निष्कर्ष
Bastar Dussehra 2025 सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और एकता का महाकुंभ है।
यह पर्व यह सिखाता है कि सच्ची विजय तलवार से नहीं, बल्कि सहयोग, सम्मान और भक्ति से होती है।
अगर आप भारत की जीवंत और आध्यात्मिक संस्कृति को करीब से महसूस करना चाहते हैं,
तो इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर 2025 में बस्तर ज़रूर जाएँ और इस 75 दिन के उत्सव का हिस्सा बनें।
#bastar ka dashara kitne din tak chalta Hai